कृत्रिम हरा पत्ता या बिजली का कारखाना? - Artificial green leaf or electric factory? - www.bhaskar.com
हाल ही में जापान में भूकंप और सुनामी के बाद परमाणु ऊर्जा संयंत्र से हुए विकिरण रिसाव के खतरे ने कई कठिन सवाल खड़े कर दिया हैं। भूगर्भ में छिपे ऊर्जा के साधनों के खत्म होने के बाद जिस परमाणु ऊर्जा को सबसे मुफीद ऊर्जा का स्रोत माना जा रहा है, उस पर डरावने प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। जिस ऊर्जा में बड़े पैमाने पर मानव जाति के संहार का खतरा निहित हो, उस पर भला कितना निर्भर रहना चाहिए?
ऐसे में अरसे से ऊर्जा का किफायती, स्थायी और सुरक्षित साधन तलाश कर रही दुनिया के लिए एक ताजा रिसर्च लाभदायक और चमत्कारी साबित हो सकती है। अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीटच्यूट्स ऑफ टेकनॉलाजी के शोधकर्ताओं ने पहली बार ऐसी कृत्रिम पत्ती बनाने में सफलता हासिल कर ली है जो बिलकुल वास्तविक पत्तियों की भांति सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के घटकों के रूप में अलग-अलग कर देती है।
वैज्ञानिकों ने दरअसल ताश के पत्तों के आकार का एक परिष्कृत सोलर सेल विकसित किया है जो प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को ठीक उसी तरह दोहरा सकता है, जिस तरह पत्तियां ऐसा करती हैं। हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण के जरिये ही सूरज की रोशनी और पानी को ऊर्जा में तब्दील करते हैं। ‘कृत्रिम पत्ती वह अनमोल चीज है जिसकी तलाश में लंबे अरसे से हजारों शोधकर्ता जुटे थे। हमें विश्वास है कि हमने पहली बार व्यावहारिक कृत्रिम पत्ती बनाने में सफलता हासिल कर ली है।’ यह बात रिसचर्स की टीम के प्रमुख डेनियल नोसेरा कहते हैं।
बिजली का नया स्रोत: शोधकर्ताओं का मानना है कि यह खोज विकासशील देशों के लिए बहुत काम की साबित हो सकती है, क्योंकि यह सस्ती बिजली के नए द्वार खोलेगी जिससे करोड़ों लोग लाभान्वित होंगे। शोधकर्ता नोसेरा कहते हैं कि इस सोलर सेल के माध्यम से उनकी योजना हर घर को पॉवर हाउस में तब्दील करने की है। उन्होंने कहा कि एशिया और अफ्रीका के सुदूर गांवों में यह तकनीक कमाल कर सकती है।
कैसे बनेगी बिजली: कृत्रिम पत्ती का आकार जरूर ताश के पत्ते के बराबर है, लेकिन मोटाई में यह उससे भी पतली है। सिलिकॉन निर्मित इस पत्ती को जब कड़ी धूप में एक गैलन पानी में रखा जाता है, तो यह किसी भी आम घर के लिए एक दिन के इस्तेमाल की बिजली उत्पन्न कर सकती है। प्रक्रिया यह है कि कृत्रिम पत्ती पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के अणुओं में विभक्त कर देती है। फिर दोनों गैसों को एक ईंधन वाले सेल में एकत्रित किया जा सकता है, जहां इनसे बिजली बनाई जाएगी। इसके लिए जरूरी उपकरण को घर की छत पर अथवा किसी भी खुले स्थान पर आसानी से रखा जा सकता है।
सस्ता विकल्प: यह बिजली काफी सस्ती होगी क्योंकि इसके लिए जरूरी उपकरण को बनाने में निकल और कोबाल्ट जैसे पदार्थ इस्तेमाल किए जाएंगे जो काफी आसानी से उपलब्ध होते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह कृत्रिम पत्ती नैसर्गिक पत्ती के मुकाबले 10 गुना तक अधिक प्रभावी ढंग से प्रकाश संश्लेषण करती है। www.bhaskar.com

ऐसे में अरसे से ऊर्जा का किफायती, स्थायी और सुरक्षित साधन तलाश कर रही दुनिया के लिए एक ताजा रिसर्च लाभदायक और चमत्कारी साबित हो सकती है। अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीटच्यूट्स ऑफ टेकनॉलाजी के शोधकर्ताओं ने पहली बार ऐसी कृत्रिम पत्ती बनाने में सफलता हासिल कर ली है जो बिलकुल वास्तविक पत्तियों की भांति सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के घटकों के रूप में अलग-अलग कर देती है।
वैज्ञानिकों ने दरअसल ताश के पत्तों के आकार का एक परिष्कृत सोलर सेल विकसित किया है जो प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को ठीक उसी तरह दोहरा सकता है, जिस तरह पत्तियां ऐसा करती हैं। हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण के जरिये ही सूरज की रोशनी और पानी को ऊर्जा में तब्दील करते हैं। ‘कृत्रिम पत्ती वह अनमोल चीज है जिसकी तलाश में लंबे अरसे से हजारों शोधकर्ता जुटे थे। हमें विश्वास है कि हमने पहली बार व्यावहारिक कृत्रिम पत्ती बनाने में सफलता हासिल कर ली है।’ यह बात रिसचर्स की टीम के प्रमुख डेनियल नोसेरा कहते हैं।
बिजली का नया स्रोत: शोधकर्ताओं का मानना है कि यह खोज विकासशील देशों के लिए बहुत काम की साबित हो सकती है, क्योंकि यह सस्ती बिजली के नए द्वार खोलेगी जिससे करोड़ों लोग लाभान्वित होंगे। शोधकर्ता नोसेरा कहते हैं कि इस सोलर सेल के माध्यम से उनकी योजना हर घर को पॉवर हाउस में तब्दील करने की है। उन्होंने कहा कि एशिया और अफ्रीका के सुदूर गांवों में यह तकनीक कमाल कर सकती है।
कैसे बनेगी बिजली: कृत्रिम पत्ती का आकार जरूर ताश के पत्ते के बराबर है, लेकिन मोटाई में यह उससे भी पतली है। सिलिकॉन निर्मित इस पत्ती को जब कड़ी धूप में एक गैलन पानी में रखा जाता है, तो यह किसी भी आम घर के लिए एक दिन के इस्तेमाल की बिजली उत्पन्न कर सकती है। प्रक्रिया यह है कि कृत्रिम पत्ती पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के अणुओं में विभक्त कर देती है। फिर दोनों गैसों को एक ईंधन वाले सेल में एकत्रित किया जा सकता है, जहां इनसे बिजली बनाई जाएगी। इसके लिए जरूरी उपकरण को घर की छत पर अथवा किसी भी खुले स्थान पर आसानी से रखा जा सकता है।
सस्ता विकल्प: यह बिजली काफी सस्ती होगी क्योंकि इसके लिए जरूरी उपकरण को बनाने में निकल और कोबाल्ट जैसे पदार्थ इस्तेमाल किए जाएंगे जो काफी आसानी से उपलब्ध होते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह कृत्रिम पत्ती नैसर्गिक पत्ती के मुकाबले 10 गुना तक अधिक प्रभावी ढंग से प्रकाश संश्लेषण करती है। www.bhaskar.com
1 टिप्पणी:
संभावनाओं से भरा एक आविष्कार -आभार !
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